Saturday, March 19, 2011

ब्रिज होली

देख देख ब्रिज होली जग बड़ा दंग है ,
झूमे नांचे ब्रिज बसी बजत मृदंग है ।
होली खेल पछताती राधा कान्हा संग है,
सारा रंग छूट गया तेरा कैसा रंग है।
तन रंगा मन रंगा मेरा अंग अंग रंगा,
हिय में उतर गया राधा बड़ी तंग है।
घाट हुआ रंगमय, यमुना में उमंग है,
यमुना भई पुलकित उठती तरंग है ॥

शब्दकार : आदित्य कुमार

होली की आप सभी मित्रो को आदित्य कुमार की ओर से हार्दिक सुभकामनाये ...