मुझे कलम और तलवार चलानी आती है ,
जो तोपों से टक्कर ले दीवार बनानी आती है ,
गर्दन जो निज सत्रु के सम्मुख जुख जाया करती है ,
ऐसी ही गर्दन आसानी से कट जाया करती है ।
आगे अमरीकन ताकत के मिमिआना छोड़ो ,
आतंक वाद से खाकर मुह की खिसिआना छोड़ो ,
बार बार विस्फोटो को दिवाली समझो ,
जले हुए खेतो को न हरियाली समझो ।
बार बार ये लस्कर के जो दो एक साथी आते हैं
देका है क्या कभी साथ में घोरे हाथी लातें हैं
अपने घर से भारत में ये कफ़न पहन कर आते हैं
और डायनामाईट के संग कुद्ध उड़ जाया करते हैं ।
आज अहिंसा धरो तक पर रणभेरी फेरो
जो घर में बैठा है दुशमन उसको घेरो
सारे जय चंदो का कर दो कोर्टमार्शल ,
उग्रवादियों की लाशो का करो पार्शल ।
जिक्र सुना होगा अब तक बस उग्र वाद का
मुद्दा उठा होगा अब तक सीमा विवाद का ,
पर जब आज सुबह देखा क्या लिखा हुआ है
अख़बारों के मुख्य प्रष्ठ पर लिखा हुआ है ,
राज ठाकरे के खिलाफ वारंट आया है
परीक्षार्थियों को मनसे से पिटवाया है
द्रवित ह्रदय कवी का संसद से पूछ रहा है ,
क्या नहीं देश प्रदेशानल से जूझ रहा है।
मुंबई हमले से बढ़ कर के भारत की ,
व्यथा नहीं हो सकती है ,
इससे ज्यादा क्रूर दलन की ,
कथा नहीं हो सकती है ।
इनके हाथों में सत्ता है ,
और मुख में केवल निंदा है ,
संसद का हमलावर भी तो ,
इनके घर में जिन्दा है
फिर कोई हमला होगा और ,
अफजल माँगा जायेगा ,
तो बोलो फिर कब फांसी पर,
अफजल टंगा जायेगा ।
अब संसद में भी साजिश के
पत्ते खोले जाते हैं
ऍम पी को अब कट्टा भर भर
नोट उड़ेले जाते हैं ।
अब नोटों की बारिश होती
संसद के दरबारों में ,
चीर हरण की घटनाएं हैं ,
चोराहों चौबारों में ।
छप्पन विष्फोट हुए वर्ष में ,
इतनी घटनायें क्या कम हैं
जन गन मन भी तो आहत है
जन जन की आँखे भी नाम है ।
इतिहास बदलने से केवल ,
उद्धार नहीं हो पाएगा ,
अब पञ्च जन्य हुन्करेगा
भूमंडल बदला जायेगा ।
और पडोसी तू भी सुन ले
तू भी पछताने वाला है
लाहौर कंरांची रावल पिंडी
भारत का होने वाला है ।
जय हिंद....
Saturday, June 26, 2010
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1 comments:
bahoot sahi kaha hai aape
jis din sare jaychannd pakde jayege
hum asli pragti ker payege
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