जब गूंजे स्वर एक साथ
बोलो जय बाबा अमरनाथ,
शोले भड़के हिम के ह्रदय में
हुआ अम्लाछादित घाट घाट ।
क्या भूल गए वह जन सागर
जो उमड़ पड़ा था सड़कों पर ,
काश्मीर जब बंद हुआ था ,
हिन्दू शक्ति के दम पर।
जिस सर्दी में बहता पानी
भी जम कर हिमखंड हुआ
ऐसी भीषण सर्दी में भी
था लोहू लावा बना दिया,
और चिनाब से पूछो तो ,
कितनी बेटी बलिदान हुई
और जोहर की अग्नि से
कितनी गलियां शमशान हुई
मात्र शक्ति का देख ज्वार ,
नतमस्तक होती है सरकार
कानों में रुई फंसा ली थी
सुन थाली चम्मच की खनकार।
यद् है क्या वह रक्तिम भू
मुखर्जी हुए जन्हा उत्सर्ग
प्रथम बलिदान हुए थे वो
बचाने को धरती का स्वर्ग ।
अमरनाथ इतिहास में जो
अमर रहेगा नाम
भुनंदन कुलदीप वही
जिसने था किया विषपान ।
गर्म तेल के उन अस्त्रों को
कैसे भूलूं जिनके बल पर
माँ बहनों ने लाज बचाई
और व्यथित मन से वह
गाथा कैसे गाऊं
जब युवकों की हुई
मृत्युं के साथ सगाई।
और मुसलमानों ने
कलमा खूब सुनाया
धर्मं बदलने को काफी
शोषण करवाया
अल्ला हु अकबर के
नारे खूब लगाये
पर भारत माँ के बेटों
ने बस यह गाया
"नमस्ते सदा वत्सले मात्र भूमे
त्वया हिन्दू भूमे सुखं वर्धितोहम "
हम कट मरेंगे यही गाते गाते
मगर धर्म का पथ न छोड़े
कभी हम ।
भारत माता की जय.....
यह कविता एक वर्ष लगभग एक वर्ष पूर्व
नरेन्द्र सहगल द्वारा सम्पादित पुस्तक
अमर नाथ गाथा नमक पुस्तक से प्रेरित होकर
अन्य व्यक्तिओं तक उस सत्य को पहुँचाने एवं दूसरों
को उस पुस्तक को पड़ने की प्रेरणा देने के लिए लिखा था
आज इसे आपको समर्पित करने का मन हुआ
शब्दकार : आदित्य कुमार
Monday, September 20, 2010
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6 comments:
आदित्य जी बहुत सुन्दर प्रयास. कविता ने मन में वीर रस घाल दिया.
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
आदित्य जी बहुत सुन्दर प्रयास.
suswagatam likhte raheye...
dhanyabad
aap ki achhi prayash hai
माननीय उपेन्द्र जी
हार्दिक धन्यवाद् आप आये और अपने पुनः मुझे उत्साहित किया
बस यूँ ही मेरे साथ बने रहिये आपसे यही प्रार्थना है ..
सुरेन्द्र जी सादर प्रणाम
आपका धन्य वाद
आपके ब्लॉग में मै जल्दी ही मिलूँगा
बस आप मेरा भी मूल्याङ्कन करते रहिये
अजय जी आपकी बधाई सिरोधार्य है
आपका हार्दिक आभारी हूँ साथ ही धन्यवाद् करता हूँ
आपके ब्लॉग में आ चूका हूँ
patali the village आपका भी हार्दिक धन्य वाद
कृपया अपने नाम से भी अवगत करा दीजिये
आप का अंततः धन्य वाद आपका सदा स्वागत है
प्रकाश जी आपका धन्य वाद
आपने बहुमूल्य समय दिया ... मूल्यवान टिप्पड़िया दी
और स्वागत वचन कहे
मै आपके ब्लॉग में आया हूँ किन्तु अभी टिप्पड़ी करना शेष है
जल्दी ही पुनः आऊंगा
मित्र सुनील आपका धन्य वाद
आपने मुझे अनुसरित भी किया और बहु मूल्य टिप्पड़ियां करके
मेरा साहस बढाया
मै भी आपका अनुसरण कर रहा हूँ
आदरणीय संगीता जी ,
आप मेरे ब्लॉग में आई आपका हार्दिक धन्य वाद
यूँही मुझे सुभाशीस देते रहना ....
और अंत में .. बस यही कहना चाहूँगा की मैं आप सभी का आभारी हूँ निश्चित रूप से आप रास्त्र भाषा के रक्षक है
आप सभी का मेरे ब्लॉग में हार्दिक स्वागत है
कृपया मुझसे जुड़े रहिये
अपना स्नेह मुझसे बनाये रकिये
आदित्य कुमार
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