सियासी नकाब में, वो
जो चेहरा छिपा
रहे है
दूरदर्शन पे जो
हर रोज ही
सपने दिखा रहे
है
अब रोक कर
विकास अगले सत्र
में करेंगे
साफ़ साफ़ खोल
कर के ये
सबको बता रहे
है
घी तेल चीनी
आटा सब कुछ
हुआ महंगा
रोजगार वाली बात
पर ठेंगा दिखा
रहे है
इनकम बढ़ी
नहीं है, व्यापार
है सब ठंडा
औ कर की
दर बढ़ा कर
डंडा दिखा रहे
है
जो लूटा है
खजाना , उसको छिपा
रहे है
सीबीआई को भी
देखिये कितना दबा रहे
है
पेट्रोल से भी
ज्यादा अब टोल
हो गया है
मुह फाड़ कर
है कहते है
के सड़के बना
रहे है
एक दसक लगा
है, मेट्रो इन्हें
बनाते
अब हर राज्य
में ये देखो
मेट्रो बना रहे
है
देश के विकास
से मुझको जलन
नहीं है
पर सपने हमें
दिखा कर ये
उल्लू बना रहे
है
एक दो स्कैम सुन कर,
हम हैरान हो रहे थे,
रेप की घटनाओं से परेशान
हो रहे थे
सियासत के हुक्मरानो
ने ये बात आम कर दी
डंडे के जोर से दबाकर
चुप अवाम कर दी
कोडियों के दाम में
, आबंटन खान का हुआ है
स्विस बैंक को बताइए
कैसे भरा गया है
खेलो तक में देखिये
घोटाले हो रहा है
अब भी प्रधान मंत्री
भोले भले हो रहे है
राजा वजीर मंत्री,
प्यादा सभी लगे है
सतरंज के इस खेल के
मोहरे बने हुए है
सह मात के इस खेल में
है कौन किस पे भारी
खेलते है सब यहाँ नेता
हो या व्यापारी
सीमा हमारी लांघ कर
शत्रु घर में आ रहा है
हमारी जमीन पर वो बंकर
बना रहा है
अराजकता हमारे देश
में चहुँ ओर फैलती है
कुछ मुल्क इसी बात
का मुनाफा उठा रहे है
लोक तंत्र के सब अंजर
पंजर ढीले हो रहे है
रेत की दीवार पर निर्माण
हो रहे है
ओर पूछते है रोज ये
के इस पे हक़ है किसका
कर्त्तव्य निभा रहे
है या अहसान कर रहे है
1 comments:
very nice aditya
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