हो रहा मातृशक्ति
का शोषण
चहुँ दिश फैला
घोर कुपोषण
एक दूजे पर
दोषारोपण
व्यथित है जन
गण मन के प्राण
हो रहा
है भारत निर्माण ।
मचा है भारत
में संग्राम
घटित है घोटाले
अविराम
क्या होगा भारत
का अंजाम
जहाँ हो केवल
व्यंग्य बाण
हो रहा
है भारत निर्माण |
पाञ्चजन्य अब कही
खो गया
नेता शंख ढपोर
हो गया
वाक् युद्ध में निपुण
हो गए
भारत अब लगता
है भाड़
हो रहा
है भारत निर्माण ।
अर्थ अनर्थ हुआ रखा
है
महंगाई का ही धक्का
है
हर कोई हक्का बक्का
है
गिर रहा है रुपये का
मान
हो रहा है भारत निर्माण ।
जितने भी शासक भावी
है
सब के सब चेहरे दागी है
सीमा पर मुंड कलम होते
भारत में बनते है शमशान
हो रहा है भारत निर्माण ।
अपना शाशक ही मूक हुआ
लगता है भारत चूक गया
अबकी बार उसी को मौका
दो
हो जिसके शोणित में
जान
हो रहा है भारत निर्माण ।
1 comments:
what a great poem, ho raha hai bharat nirman.....
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