चाहे जान
निकल कर गिर
जाए,
भू पर
न तिरंगा गिर
पाए
है जूनून
बहुत , है सुकून
बहुत
आजादी जीने वालो
को
उजला है
चमन करना है
नमन
सरहद पर
मरने वालों को
चलती है
पवन मुस्काता गगन
लहराता तिरंगा प्यारा
है
इसकी गरिमा
गौरव के लिए
अपना जीवन
तक वारा है
चाहे आंधी
हो , तूफ़ान चले
तिरलोक भले ही
हिल जाए
चाहे जान
निकल कर गिर
जाए,
भू पर
न तिरंगा गिर
पाए
टुकड़ा ये नहीं
कपडे का कोई
ये है
अधिनायक भारत का
मिल जाता
भले बाज़ारो में
सम्मान दिलों
में है इसका
इस पर
न पड़े कभी
कदम कोई
न पड़े
कभी ये राहों
में
यदि ऐसा
हुआ, तोह ध्यान
रहे
पीड़ा सुलगेगी
आहों में
जो गिरे
स्वयं , बलिदान हुए
जिससे ये तिरंगा
लहराए
चाहे जान
निकल कर गिर
जाए,
भू पर
न तिरंगा गिर
पाए
इसका भूमि
पर गिर जाना
है तिरिस्कार
भूनंदन का
यह पुण्य
पताका है अपनी
यह है
अधिकारी वंदन का
इसकी खातिर
कुर्बान हुए
वीरों का श्रेष्ठ
समर्पण है
जो नहीं
चुकाया जा सकता
उनका हम
पर ऐसा ऋण
है
आने वाली नव पीढ़ी पर
अपना भी कुछ ऋण हो जाये
चाहे जान निकल कर गिर जाए,
भू पर न तिरंगा गिर पाए
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