Wednesday, August 18, 2010

तुम

तुम्ही आरती तुम ही पूजा ,
तुम्ही अर्चना तुम आराधन ,
तुम ही मेरा इष्ट देव हो ,
तुम ही धरती तुम्ही गगन
तुम ही जल हो तुम्ही वायु
तुम्ही प्राण हो तुम स्नायु
तुम ही मेरा तन मन धन हो
और तुम्ही मेरा जीवन हो ,
तुम ही वर्षा तुम ही तृष्णा
तुम ठंडक हो तुम्ही उष्णा,
तुम ही मेरा प्रेम सरोवर ,
और तुम्ही हो मेरी नईया
मुझे डुबो दो आज स्वयं में
बन कर मेरी तुम्ही खिंवैयाँ
मैं तुम में स्थिर तुम चंचल सी
तुम मेरे आंगन की तुलसी ,
तुम यमुना के तट की रेणु
तुम स्वर में कान्हा की वेणु
तुम्ही कठिन हो हो तुमे सरलता
तुम्ही ध्येय हो तुम्ही सफलता
तुम बिन हूँ मैं निपट अकेला
तुम ही मेरी जीवन बेला
तुम्ही सफ़र हो तुम हम ही साथी
मैं दीपक हूँ तुम हो बाती।

4 comments:

Anonymous said...

aur kaun hai ye tum???

Aditya Rana said...

ye to bas samarpan k bhav hai


blog mein ane k liye dhanyavad

Unknown said...

really fantastic ..........

rajiv said...

bahut achha hai

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